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"हाॅं हुॅं मैं एक नारी"
#InternationalWomensDay
हाॅं हुॅं मैं एक नारी पर अब मैं कोई ,कमजोर अबला नारी नहीं।
लड़ सकती हूॅं मैं अपने लिए ,अब मैं किसी पर भी निर्भर नहीं।
जननी हूॅं मैं , लाती हूॅं एक नए जीवन को इस संसार में।
कितने कष्ट सहकर एक जीवन को लाती हूॅं ,मैं इस संसार में।
हमसे ही है यह दुनिया चलती , फिर मैं किसी से कम कैसे हुॅं।
हाॅं हुॅं मैं एक नारी , पर अब मैं भी किसी से कम नहीं हूॅं।
हमारे धैर्य शांत स्वभाव को ,समझना हमारी कमजोरी नहीं।
आज की शिक्षित नारी हूॅं , अब मैं पहले वो वाली नारी नहीं।
चुप रह कर सब ज़ुल्म सहती रहूॅं ,अब मैं इतनी कमजोर नहीं।
लड़ सकती हूॅं मैं अपने लिए,अब मैं वह पहले वाली नारी नहीं।
पढ़ लिख कर शिक्षित हो चुकी है,आज की प्रत्येक एक नारी।
किसी पर बोझ नहीं अब,आत्मनिर्भर बन चुकी है प्रत्येक नारी।
हाॅं हुॅं मैं एक नारी पर अब मैं कोई ,कमजोर अबला नारी नहीं।
लड़ सकती हूॅं मैं अपने लिए ,अब मैं किसी पर भी निर्भर नहीं।
हाॅं हुॅं मैं एक नारी पर अब मैं कोई ,कमजोर अबला नारी नहीं।
लड़ सकती हूॅं मैं अपने लिए ,अब मैं किसी पर भी निर्भर नहीं।
जननी हूॅं मैं , लाती हूॅं एक नए जीवन को इस संसार में।
कितने कष्ट सहकर एक जीवन को लाती हूॅं ,मैं इस संसार में।
हमसे ही है यह दुनिया चलती , फिर मैं किसी से कम कैसे हुॅं।
हाॅं हुॅं मैं एक नारी , पर अब मैं भी किसी से कम नहीं हूॅं।
हमारे धैर्य शांत स्वभाव को ,समझना हमारी कमजोरी नहीं।
आज की शिक्षित नारी हूॅं , अब मैं पहले वो वाली नारी नहीं।
चुप रह कर सब ज़ुल्म सहती रहूॅं ,अब मैं इतनी कमजोर नहीं।
लड़ सकती हूॅं मैं अपने लिए,अब मैं वह पहले वाली नारी नहीं।
पढ़ लिख कर शिक्षित हो चुकी है,आज की प्रत्येक एक नारी।
किसी पर बोझ नहीं अब,आत्मनिर्भर बन चुकी है प्रत्येक नारी।
हाॅं हुॅं मैं एक नारी पर अब मैं कोई ,कमजोर अबला नारी नहीं।
लड़ सकती हूॅं मैं अपने लिए ,अब मैं किसी पर भी निर्भर नहीं।
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