...

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हमारे बोल
हमारे बोल अंतर्मन में समाए है
कभी बैचन में तकदीर बदल है

खुद सादगी में गुमसुम बैठे है
यकीनन में हुनर बोलते है

इंतजार में अक्सर बेकरार है
उम्मीद में लौटती आशाएं है

यादों में सर्द हवाएं चलती है
गावों में सब्र आराम चलती है

आगोश में चहरे प्यारे लगते है
लबों में आकर्षित मस्त लगते है

महक में खिला अहसास हुआ है
आखिर में पन्ने सुनहरे सपने है।
Aniruddha Bodade

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