राजनीति और राजनेता
तन की कटुता, मन की कटुता,
जब दोनों का हो समाहार,
तब होती है भ्रष्ट राजनीति तैयार।
ये पार्टियां तो महज एक दिखावा हैं,
जालसाजी करने वालों का ढाबा है।
जो चल जाते हैं, लूट लेते हैं,
जो न चल पाते, वो बिक जाते हैं।
राजनीति के शायर कुछ यूं...
जब दोनों का हो समाहार,
तब होती है भ्रष्ट राजनीति तैयार।
ये पार्टियां तो महज एक दिखावा हैं,
जालसाजी करने वालों का ढाबा है।
जो चल जाते हैं, लूट लेते हैं,
जो न चल पाते, वो बिक जाते हैं।
राजनीति के शायर कुछ यूं...