...

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बस ये याद रखना..
ऐसा नहीं है कि तेरी बातों पर मैने गौर न किया हो
आत्ममंथन किया मैंने, आत्मचिंतन भी किया है
इन सबमें बस यही निष्कर्ष मैने पाया है
तुम हो मेरी सच्ची सखि,
जिसने मेरी कमियों को, मुझे प्रत्यक्ष रूप से बताया है,,
पर मैं भी गलत नहीं, दोस्ती में पावन प्रीत जो किया है,,

हां! मैं कमज़ोर बहुत हुयी थी, खुद को सम्हालने की कोशिश में,,
तो फिर कैसे तुझे समझाती मैं..? बस ईश्वर से प्रार्थना किया करती थी और अन्तर्द्वन्द्व से जूझ रही थी।

थी कोई गलतफ़हमी या तुमने अहसास किया था,,?
और प्रीत हमारी भूलकर, नफ़रत का आगाज किया था।

जब कभी भी तुम्हें ये अहसास हो,
हमारी मित्रता की नींव पवित्र भावनाओं से हुयी है,,
तो बेझिझक मुझे पुकार लेना, तब तक मैं प्रतीक्षारत हूँ,,
बस ये याद रखना...
बस ये याद रखना...
© 💥A. Suryavanshi💥