...

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मेरी चाह
निकल गया हूं राह पर,
अब न पीछे मुड़ पाऊंगा।
सब कुछ पीछे छोड़ के ,
मैं अब आगे बढ़ आऊंगा।।
मेरी बात में है तम्मन्ना यही,
कि संग किसी के चलता मैं।
बात सभी हर्ष विषाद,
उससे साझा करता मैं।।
बहुत मिलते हैं साथी पथ पर,
जो साथ हमेशा देते हैं।
मगर कुछ विमुख हो जाते पथ से,
कुछ यूं ही आगे बढ़ते हैं।।
आसान न होता चले जाना,
हर एक पथिक के राही को।
चले जाना -चले जाना,
हर मुश्किल से लड़े जाना।
आसान न होता चले जाना,
हर मुश्किल से लड़े जाना।।
© Abhijeet Dwivedi