कहा है इंसानियत !
खामोश ये रात तूफान का शोर बहुत
गरीब सब की नियत, है कमजोर बहुत
भूखा पेट चिल्लाता नही दर ए शहर में
है सुलझाना ये, पर दिल में है चोर बहुत
लिख तो दू सब की कहानियां पन्नो में
अदालत बिक चुकी है पैसों का जोर...
गरीब सब की नियत, है कमजोर बहुत
भूखा पेट चिल्लाता नही दर ए शहर में
है सुलझाना ये, पर दिल में है चोर बहुत
लिख तो दू सब की कहानियां पन्नो में
अदालत बिक चुकी है पैसों का जोर...