मेला... 🍂🍂🌿
मेले की तरफ देखते ही,
याद बचपन की आ गई,
रंग उन रंगीले गुब्बारों का जब भा गया,
आगे जो बढ़े तो,
मन मतवाला ख़ुशनुमा खिलौनों पर आ गया,
जब खींचकर माँ का पल्लू,
अपनी फरमाइशें बतायी ,
बचपन की सारी अठखेलियों दिखाई,
बहुत समझाने पर मैं समझ पायी,
खिलौने तो टूट...
याद बचपन की आ गई,
रंग उन रंगीले गुब्बारों का जब भा गया,
आगे जो बढ़े तो,
मन मतवाला ख़ुशनुमा खिलौनों पर आ गया,
जब खींचकर माँ का पल्लू,
अपनी फरमाइशें बतायी ,
बचपन की सारी अठखेलियों दिखाई,
बहुत समझाने पर मैं समझ पायी,
खिलौने तो टूट...