...

13 views

प्रेम
प्रेम में है गहराई जिसे नापना मुमकिन नही
प्रेम को किसी तुलना की जरूरत नही
अधूरा हो के भी जो पूरा है
वो प्रेम ही है जो खुदा है ।

प्रेम है आसमाँ से विशाल
कैसे एक लफ्ज़ में कोई बाँधे इसको
जितना सोचोगे उतना डूब जाओगे ।

प्रेम करने वाले भी प्रेम को नही समझ सकते
कवियों की कल्पना में है प्रेम
चित्रकारों ने चित्रों में उकेरा है प्रेम ।

प्रेम सीता और राम सा नही
प्रेम राधा और श्याम सा भी नही
प्रेम है चातक का
जो एक बादलों की एक बूंद के लिए जीता है ।

प्रेम है मोरनी सा
जो मोर के अश्रु को भो खुद में समा लेती है
ताकि जन्म दे सके एक ओर प्रेम को
प्रेम का स्वाद नही होता न कोई गंध होती है।

प्रेम की कोई वजह नही
प्रेम या तो होता है , या नही होता है ।