...

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कुछ अनकहा

कुछ कहे अनकहे से ज़ज्बात मेरे,
मचलते हैं करने को मुलाकात तुमसे।

बीत हुए दिन वो अपने प्यार के
रहते हैं बेचैन अब, हो न पाती बात तुमसे।

बेवफाह तेरी अनकही बातें भी याद आती हैं
नजरें चुरा कर मुस्कुराना तेरा, मुझे बड़ा तड़पाती हैं।

लम्हा जो गुज़र गया तेरी यादों में, मिल जाते हो यूंही भटकते हुए मेरे ख़्वाबों में,
भूल जाना चाहा था मैंने उस रोज़ जो तुम्हें, न जाने कैसे सिमट कर आ बैठे तुम मेरी किताबों में।

GLORY❤️


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