पितृ स्मृति
3 वर्ष बीत गए, पापा,
आपको इस जग से प्रस्थान किए।
अब दैहिक, अस्तित्व भले ही ना हो आपका,
पर, आत्मिक संबंध तो आज भी है।
आज भी हम आपका ही, अंश कहलाते हैं।
आज भी, हमारी पहचान,
आपकी ही मोहताज है।
आज भी, मेरा अस्तित्व,
आपसे ही तो जुड़ा है।
जहाँ भी जाती हूँ,
आपकी ही बेटी कहलाती हूँ।
जो भी देखता है,
सिन्हा साहब की बेटी ही कहता है।
पक्के से ही,
माता-पिता की परछाई,
होती है उनकी संतान।
बच्चे चाहे कुछ भी बन जाए,
चाहे कहीं भी पहुँच जाए,
चाहे उत्कर्ष पर, या अपकर्ष पर,
शान-बान और आन होते हैं
अपने माता-पिता का।
गर्व होते हैं, गुरुर होते हैं।
शायद मैं भी कहीं आपका गुरुर रही होगी।
जो कुछ भी हो,
बहुत याद आते हैं आप।
पर सदैव मेरे दिल में रहेंगे।
आपकी बेटी की कलम से- डॉ.अनीता सिन्हा
आपको इस जग से प्रस्थान किए।
अब दैहिक, अस्तित्व भले ही ना हो आपका,
पर, आत्मिक संबंध तो आज भी है।
आज भी हम आपका ही, अंश कहलाते हैं।
आज भी, हमारी पहचान,
आपकी ही मोहताज है।
आज भी, मेरा अस्तित्व,
आपसे ही तो जुड़ा है।
जहाँ भी जाती हूँ,
आपकी ही बेटी कहलाती हूँ।
जो भी देखता है,
सिन्हा साहब की बेटी ही कहता है।
पक्के से ही,
माता-पिता की परछाई,
होती है उनकी संतान।
बच्चे चाहे कुछ भी बन जाए,
चाहे कहीं भी पहुँच जाए,
चाहे उत्कर्ष पर, या अपकर्ष पर,
शान-बान और आन होते हैं
अपने माता-पिता का।
गर्व होते हैं, गुरुर होते हैं।
शायद मैं भी कहीं आपका गुरुर रही होगी।
जो कुछ भी हो,
बहुत याद आते हैं आप।
पर सदैव मेरे दिल में रहेंगे।
आपकी बेटी की कलम से- डॉ.अनीता सिन्हा