स्मृतियों की दुनिया
#स्मृति_कविता
वो पल जो बीते, यादों की गठरी में,
जैसे चांदनी रात हो, मन के आंगन में।
बचपन की वो कहानियाँ, सखाओं के संग,
माँ की लोरी, पिता की छांव, वो प्यारा संग।
स्कूल की वो कक्षाएं, मास्टर जी का डर,
खेल के मैदान में, न जाने कितने सफर।
यौवन की उमंगें, वो पहली मोहब्बत,
दोस्ती के वादे, हंसी के चहकते पल।
जीवन की राहों में, अनगिनत मोड़,
हर स्मृति में छुपी, अनमोल से रंग।
वो खट्टी-मीठी यादें, समय की परछाईं,
हर क्षण में बसी, जीवन की सच्चाई।
स्मृति का ये खजाना, अनमोल रत्नों का हार,
हर दिल में बसा, हर सांस में अहसास।
© ऋत्विजा
वो पल जो बीते, यादों की गठरी में,
जैसे चांदनी रात हो, मन के आंगन में।
बचपन की वो कहानियाँ, सखाओं के संग,
माँ की लोरी, पिता की छांव, वो प्यारा संग।
स्कूल की वो कक्षाएं, मास्टर जी का डर,
खेल के मैदान में, न जाने कितने सफर।
यौवन की उमंगें, वो पहली मोहब्बत,
दोस्ती के वादे, हंसी के चहकते पल।
जीवन की राहों में, अनगिनत मोड़,
हर स्मृति में छुपी, अनमोल से रंग।
वो खट्टी-मीठी यादें, समय की परछाईं,
हर क्षण में बसी, जीवन की सच्चाई।
स्मृति का ये खजाना, अनमोल रत्नों का हार,
हर दिल में बसा, हर सांस में अहसास।
© ऋत्विजा