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एहसास
एहसास दर्देदिल का कराने वाले,
तू क्यों मेरी ज़िन्दगी में आ गया,
बड़ी ख़ामोश थी मेरी ज़िन्दगी,
क्यों इसमें तूफ़ान सा मचा गया।
हर तरफ मचा है अजीब सा शोरोगुल,
उम्मीद भी किसीको नज़र आती नहीं,
आइना दिखा करके बड़े आराम से मुझे,
मेरे मुँह पर मेरा ही मज़ाक उड़ा गया।
ना जाने कब जाकर के थमेगाे,
हादसों का सफर हमारा ये "रवि"
अभी तो एक हादसे से उभरा हूँ मैं,
एक और बुरी ख़बर मुझे सुना गया।
राकेश जैकब "रवि"
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