...

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उस रोज़
खूब नहाया था उस रोज़
सैलाब आया था उस रोज़..........!

था सब कुछ धुआँ धुआँ
इक दर्द समाया था उस रोज़......!

डूब गई थीं उम्मीदें सारी
वो ख़्वाब खपाया था उस रोज़...!

क्या ख़ूब थी तबस्सुम वो भी
ज़हर मुस्कुराया था उस रोज़.....!

संभाले से संभलते कैसे
उस ने ठुकराया था उस रोज़......!


© samrat rajput

#Gazal #us_roz #yadon_ki_kasak