...

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आज मेरी गलियों में....।
सपनों में जो ना सोचा था,
हकीकत में बरसात हुई।
एक सुंदर सी परी आई मेरी गलियों में,
उन से प्यार से बात हुई।


आंखे नशीली थी उनके,
मुखड़ा चांद के टुकड़ा के जैसा।
चमक चांदनी लेकर आई वो,
मणि यों के प्रकाश के जैसा।।


खूबसूरत ना होगा कोई इस जमाने में।
जाकर तुम पूछ लो, किसी गुलशन के फूलों से।
फीके पड़ जाएंगे...