...

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कविता: बीते पल

बीतता पल किसको भाता है
पर बीते पल सबको याद आते है
आने बाले पलो का क्या भरोसा है
बीते पल यादे छोड़कर जाते है
बचपन सबको याद आता है
बुढ़ापा सोचकर घबराता है
जवानी खूब भगाती फिर भी भाती है
बुढ़ापा आराम देता वो आराम कहाँ भाता है
बालों की सफ़ेदी कहाँ भाती है
वो काले बाल याद आते है
ये ढलता चेहरा कहाँ भाता है
वो चमकता चेहरा याद आता है
ज़िंदगी की शुरुआत में रिश्ते हरे होते है
ढलती उम्र में वही रिश्ते फीके पड़ जाते है