...

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Adhuri Mulaqat
अधूरी मुलाक़ात

तेरी मेरी मुलाक़ात रह गई अधूरी,
जाने कितनी बातें है अनकही,
ज़िंदगी रेत सी चलती रही,
पर तेरी याद दिल से ना कम हुई।

क़िस्मत में जब मिलना नहीं था,
तो रब ने हमे मिलाया ही क्यों,
जीवन के सफ़र में जब मिल गए,
तो तुम हालात के आगे हारे ही क्यों?

तू ही बता अब तेरे बिन कैसे रहूँ,
ना दिन कटे ना ये अंधेरी रात,
हर पल तेरी याद दिल को सताये,
तू ही बता इस दिल को कैसे सम्भालू?

कितने सपने रह गये अधूरे,
जो तुम संग थे मैंने सजाये,
हमारी अधूरी मुलाक़ात ने
सारे अरमान कुचल दिये।

मोहब्बत तो होती है जीने की वजह,
पर हमे ये मोहब्बत रास ना आई,
जीवन पथ पे रह गये अकेले,
तू ही बता अब जीने की वजह ढूँढ़ू कैसे?

निशा शेठ
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