ये ज़रूरी नहीं विरोध करने वाला दुश्मन ही हो...
ये ज़रूरी तो नहीं हर काम में अपना मन ही हो।
कोन कहता है इज़हारे हुनर को अंजुमन ही हो।।
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हो सकता है उसका अंदाजे मोहब्बत तल्ख़ हो,
ये ज़रूरी नहीं विरोध करने वाला दुश्मन ही हो।।
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कभी कभी क़फिले लूट जाते हैं अपनों के बीच,
ज़रूरी नहीं सफ़र में लूटने...
कोन कहता है इज़हारे हुनर को अंजुमन ही हो।।
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हो सकता है उसका अंदाजे मोहब्बत तल्ख़ हो,
ये ज़रूरी नहीं विरोध करने वाला दुश्मन ही हो।।
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कभी कभी क़फिले लूट जाते हैं अपनों के बीच,
ज़रूरी नहीं सफ़र में लूटने...