बोल
तिल का तार ,
राई का पहाड़ ,
बाल की खाल,
बनाने से ना आते हम बाज हैं।
वक्त बेवक्त समय की फिक्र छोड़ छाड़
जैसे बिन मौसम बरसात
कितने जतन करे यार ?
थाह ही नहीं पाते हर बार ।
बात तो ये भी है
कि बात का होता ना एक सार हर बार,
और ,
बातों का होता ना एक प्रभाव...
राई का पहाड़ ,
बाल की खाल,
बनाने से ना आते हम बाज हैं।
वक्त बेवक्त समय की फिक्र छोड़ छाड़
जैसे बिन मौसम बरसात
कितने जतन करे यार ?
थाह ही नहीं पाते हर बार ।
बात तो ये भी है
कि बात का होता ना एक सार हर बार,
और ,
बातों का होता ना एक प्रभाव...