...

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बोल
तिल का तार ,
राई का पहाड़ ,
बाल की खाल,
बनाने से ना आते हम बाज हैं।

वक्त बेवक्त समय की फिक्र छोड़ छाड़
जैसे बिन मौसम बरसात
कितने जतन करे यार ?
थाह ही नहीं पाते हर बार ।

बात तो ये भी है
कि बात का होता ना एक सार हर बार,
और ,
बातों का होता ना एक प्रभाव...