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दो निर्जीव वस्तुओं का संवाद..
#वस्तुकाआवारण

दीवार और आईने का संवाद

दीवार बोली आईने से,
"तू हर चेहरा दिखा सकता है,
पर क्या कोई तुझसे छिपे हुए दर्द को पढ़ पाया है?"
आईना मुस्कुराया और बोला,
"चेहरों का सच दिखाना मेरा फ़र्ज़ है,
पर उनकी आँखों में छुपी तन्हाई,
उसे समझने का हुनर तो तुझमें है।"

किताब और कलम का संवाद

किताब ने कलम से पूछा,
"तू हर पन्ने पर शब्द उकेरता है,
क्या तेरे शब्दों में दिल की गहराई है?"
कलम ने धीमे से कहा,
"शब्द तो मेरे हैं, पर भावनाएँ तेरी हैं।
तू जो सहेजती है, वही मेरा सार है।"

घड़ी और समय का संवाद

घड़ी ने समय से कहा,
"मैं तुझे हर पल बदलते देखती हूँ,
पर तेरा रुकना कभी संभव है?"
समय ने हंसते हुए उत्तर दिया,
"रुकना मेरी नियति नहीं,
पर तेरे टिक-टिक में, मैं जीता हूँ।
हर पल तुझसे मैं याद दिलाता हूँ,
कि ज़िन्दगी की क़ीमत उसी में है,
जो आज है, अभी है।"

दीपक और हवा का संवाद

दीपक ने बुझते हुए कहा,
"मेरा तेल समाप्त हो रहा है,
अब मैं कुछ और पल नहीं जल पाऊंगा।"
हवा ने उत्तर दिया,
"तेरी रोशनी ने रातों को रौशन किया,
तेरा अस्तित्व तब भी अमर रहेगा,
जब तू बुझ भी जाएगा।
क्योंकि हर दिया, अपनी लौ में
अनगिनत कहानियाँ छोड़ जाता है।"
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