...

13 views

मेहरूम कर के इश्क से...
मेहरूम करके इश्क से फिर मुस्कुराई जिंदगी
हस के वो बोली देख ले क्या कर दिया तेरा हश्र है
क्या चाहता था और क्या पाया पूछे ये मुझसे प्रश्न है
सदियों लगी थी आस जिसकी, हर पल वो तेरा कास है
सब कुछ लुटा चुका है उस पे, अब कुछ नही तेरे पास है
सुख चैन लुट चुका है तेरा, फिर किसकी ये तलाश है
अब कुछ बचा नही है तुझमें, तू सिर्फ जिंदा लाश है।
सुन के ये सारा फलसफा, चुप्पी मैने भी तोड़ दी
मेहरूम होके इश्क से कुछ यूं गुजारी जिंदगी
फूलों की राहें छोड़ कर, कांटो की राहें चूम ली
कभी मयकशी में शाम की, कुछ महफिलों के नाम की
सुबह का वो रोशन सितारा, मेरे इश्क सा रोशन न है
सदियों लगी थी आस जिसकी, हर पल वो मेरे साथ है
सब कुछ लुटा के भी मेरा इश्क मेरे पास है
बेशक बचा न कुछ भी मुझमें बेशक मैं जिंदा लाश हूं
इश्क में चलता न सौदा के प्यार उसका बन सकूं
जो चाहता था वो ही पाया फिर कैसा है ये प्रश्न यह
बंजर ही बेशक जिंदगी पर जीने की तो आस है
एकतरफा है तो क्या हुआ मेरा इश्क मेरे पास है।
© Adroit_Mack