23 views
शराबी और उसका परिवार
शराबी और उसका परिवार
दिन दीवाली का था हम सुबह से खुश थे
माँ सीता की तरह बच्चे लव और कुश थे
सारा सामान था जलने और जलाने का
कुछ पटाके अच्छे थे तो कुछ फुस थे
एक रात पहले ही सब पापा लाये थे
दीवाली नहीं बनी हमारी पापा पी कर(शराब) आये थे।
एक सुबह ऐसी थी कुछ अच्छा होना था
परिणाम आना था कुछ तो होना था
मेरी खुशियों का ठिकाना नही था हम सब अच्छे नंबर लाये थे
खुशियां नहीं मन पाई क्योंकि पापा पी कर (शराब) आये थे।
उस दिन तो चाचू का प्रोमोशन हुआ था
दादाजी का नाम फिरसे रोशन हुआ था
हमने पार्टी की सोची थी पर कर न पाए थे
याद है मुझे पापा पी कर आये थे।
उन्होंने माँ को सताया था सब देखते थे हम
वो बिना कुछ कहे सह लेती थी गम
एक दिन वो खुश थी क्योंकि मामा के लिए रिश्ता लाये थे
रात को रोई हैं वो क्योंकि पापा पी कर आये थे
एक बार फिर से इस घर को खुशियों से जोड़ दो न पापा
बहुत होगया अब ये शराब छोड़ दो न पापा
© SUCIDE NOT ALLOWED BY RAHUL BABBAR
Related Stories
14 Likes
8
Comments
14 Likes
8
Comments