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दोष दें हम किसको?
जिन्दगी है बस एक,
लहरों का ज्वार भाटा।
कभी आता जीवन में चढ़ाव
तो कभी जीवन में उतार आता।
सवाल करें हम किससे,
जब स्वप्न तो,
खुद हमने ही देखे थे।
सवाल करें हम किससे,
जब जिन्दगी ने,
दिखाकर स्वप्न खुशियों के,
पतझड़ के अंबार दिये?
दोष दें हम किसको,
हाथ की रेखाओं को,
या कर्मों के लेख को,
दिखाकर स्वप्न खुशनुमा जिन्दगी का,
नसीब ने हकीकत में,
कांटों के पहाड़ दिये।
#mystery of life
© mere alfaaz
लहरों का ज्वार भाटा।
कभी आता जीवन में चढ़ाव
तो कभी जीवन में उतार आता।
सवाल करें हम किससे,
जब स्वप्न तो,
खुद हमने ही देखे थे।
सवाल करें हम किससे,
जब जिन्दगी ने,
दिखाकर स्वप्न खुशियों के,
पतझड़ के अंबार दिये?
दोष दें हम किसको,
हाथ की रेखाओं को,
या कर्मों के लेख को,
दिखाकर स्वप्न खुशनुमा जिन्दगी का,
नसीब ने हकीकत में,
कांटों के पहाड़ दिये।
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