...

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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में लड़की क्या है।।
लड़की ही कर्म है
जो मिलती सबको है
मगर निभा कोई नहीं पता है ,
लड़की कौन बनकर मिलती है,
मां बनकर मिलती है,
बहन बनकर मिलती है,
दोस्त बनकर मिलती है,
दुश्मन बनकर मिलती है,
राहगीर बनकर मिलती है,
दूध में मिलती मां बनकर,
हाथ में मिलती बहन बहन बनकर,
जीवन में प्रवेश करती है दोस्त बनकर,
रंग बदलती रूप देकर,
हाथ थामती प्रेम बनकर,
विनाष करती है अपने रूप की मया से,
मोह लेती अपने शब्दों से,
मगर फिर भी यह प्रशनवाचक खड़ा होकर सवाल लेकर चिल्लाता हुआ बोलता है-
और है और फिर लेखक से प्रशन कर पूछता है,
कि है मेरे आका मैं घूमते फिरते आया तेरी माजांर पर।।
अब और ना रूला उन मां पाप को,
ना कर उसके अंशज को मुरझित,
तो उठ खड़ा हो -ए मेरे आका,
और हिसाब कर उन डायनवाधितताओ का,
जिनका ना तो कोई धर्म -मज़हब है,
जिनकी ना तो कोई जाति- नपुंसक है,
इसलिए ना उनकी माऐ कहलाएगी,
और ना ही कोई बहनों का आश्रय मिलेगा।।
क्योंकि उन्हें नपुंसकीय आहुतिका कहा जाएगा।।
जिसके कारण कारण भी यह गाथा अनन्त में है।।
यद्यपि जो नपुंसकीय आहुतिका कहलाई जाती है उनका भी अमर सकंटी दंडी के कलि के इस कलियुग को अमरणीय होने का श्राप मिला है।।

क्योंकि नपुंसकीय आहुतिका ने कहा अलविदा मगर जाते जाते उसने कहा अलविदा और मैं कलि के कलियुग आजीवन अमर होने का अभिषाप देती हूं।।
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#स्तभंवीकाअल्विदा💔🩸🐲🐄🐉🪔🙏🤚🖕