...

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“तू मरके भी जिंदा क्यूं है ??"
ये चांदनीयों का असर, जहन में समाया क्यूं है ?
ये असलियतों में ख्वाब, पराया क्यूं है ??

कुछ खामोशी के खोफ, मुसलसल जीने नहीं देते,
तमाम कानों में शोर, हमारा क्यूं है ??

हाथों में कसे, हाथों का सबक, जानलेवा है मेरी जां,
ये मोहब्बत का खेल, इतना निराला क्यूं है ??

कि खबर है, “जान", कब्र...