कमी रह गयी
कमी रह गई उस हुस्न नाज़नी को सजने में,
मैं फ़क्त निगाहो से उसे मजनून जरा कर दूंगा।
इत्तेफाक से हो गयी दो चार मुलाक़ाते उससे,
उस पर मोहब्बत का मैं असर खरा कर दूंगा।
उसकी निगाहे...
मैं फ़क्त निगाहो से उसे मजनून जरा कर दूंगा।
इत्तेफाक से हो गयी दो चार मुलाक़ाते उससे,
उस पर मोहब्बत का मैं असर खरा कर दूंगा।
उसकी निगाहे...