...

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कमी रह गयी
कमी रह गई उस हुस्न नाज़नी को सजने में,
मैं फ़क्त निगाहो से उसे मजनून जरा कर दूंगा।

इत्तेफाक से हो गयी दो चार मुलाक़ाते उससे,
उस पर मोहब्बत का मैं असर खरा कर दूंगा।

उसकी निगाहे मोहब्बत का इज़हार भी करेंगी,
मैं इश्क़ की सौगात उसे अदब से डरा कर दूंगा।

वहसत का असर होगा बहकी फ़िज़ावों में,
उसकी चाहत में गुलज़ार से धरा कर दूंगा।

मिसाल मैं अपनी मोहब्बत की उसे ऐसी दूंगा,
जिक्र अपनी मोहब्बत का हर जुबां पर करा कर दूंगा।

पवन कुमार सैनी
© 👍पवन के अल्फाज़ 👍