क्या कभी आजाद हो पाऊंगी मैं ?
उन सूनी सड़कों से चलकर ,
क्या सुरक्षित घर पहुंच पाऊंगी मैं ?
उन लोगों की नजरों में क्या छोटे कपड़े पहन कर गिर जाऊंगी मैं ?
डर है मेरे मन में इस आजाद देश में भी
क्या कभी चैन से सांस ले पाऊंगी मैं ?
कभी आग से,कभी तेजाब से,कभी जला डाला मुझे
आखिर क्या थी गलती...
क्या सुरक्षित घर पहुंच पाऊंगी मैं ?
उन लोगों की नजरों में क्या छोटे कपड़े पहन कर गिर जाऊंगी मैं ?
डर है मेरे मन में इस आजाद देश में भी
क्या कभी चैन से सांस ले पाऊंगी मैं ?
कभी आग से,कभी तेजाब से,कभी जला डाला मुझे
आखिर क्या थी गलती...