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राह ख़ुद की तुम्हें खुद बनाना पड़ेगा...
रश्म- ए- दुनियादारी निभाना पड़ेगा
रोना चाहोगे पर मुस्कुराना पड़ेगा
कर्ज़ बहुत हैं, इन कमज़र्फ सांसों का
बेचकर सारी खुशियां चुकाना पड़ेगा
दूर जाना तो चाहोगे ज़माने से पर
फ़र्ज़ नातों का सारे निभाना पड़ेगा
रोज़ होती है ख़र्च कमाने में ज़िन्दगी
पर ज़िन्दगी के लिए ही कामना पड़ेगा
जनाजा तुम्हारा फ़िर उठायेगा कौन
इस डर हर एक जनाजा उठाना पड़ेगा!
रोना चाहोगे पर मुस्कुराना पड़ेगा
कर्ज़ बहुत हैं, इन कमज़र्फ सांसों का
बेचकर सारी खुशियां चुकाना पड़ेगा
दूर जाना तो चाहोगे ज़माने से पर
फ़र्ज़ नातों का सारे निभाना पड़ेगा
रोज़ होती है ख़र्च कमाने में ज़िन्दगी
पर ज़िन्दगी के लिए ही कामना पड़ेगा
जनाजा तुम्हारा फ़िर उठायेगा कौन
इस डर हर एक जनाजा उठाना पड़ेगा!
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