...

13 views

घर छोड़ के जाना पड़ता है
"घर छोड़ के जाना पड़ता है"

तब वो मंज़र बड़ा अखरता है,
जब घर छोड़ के जाना पड़ता है।
अपने आँसू दिखाएँ भी तो कैसे?
हमें ख़ुद में ही रोना पड़ता है।
नई जगह पे अनजान शहर में,
नई पहचान को पाना पड़ता है।
रिश्तों की पूँजी हमें गंवाकर,
मेहनत से कमाना पड़ता है।
कामगार कुछ दोस्त बनते हैं,
पुरानी यारी को भुलाना पड़ता है।
पैसों की किमत ही इतनी क्यों है,
जो ये हाल कर जाना पड़ता है?
क्यों अपनों के ख़ातिर "धनक"
उनसे ही कटकर जीना पड़ता है?
-Amartya Dhanak Sfulingodgaar
#Amartya #Dhanak #Sfulingodgaar #mrmatchless #AmartyaDhanakSfulingodgaar #ADSOSAND
#hindikavita #hindipoems