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शायरिया
इन शायरियों का कोई एक मतलब नहीं होता
छुपे होते हैं कई राज़ मगर वो राज़ बयां नहीं होता
हर लफ्ज़ में छुपा है एक ख्वाब
मगर कभी वो ख्वाब मुक़म्मल नहीं होता
कुछ समझे, कुछ न समझे
मगर इन नासमझ की समझ से परे नहीं होता
कोई कहता है ये तो बस अल्फाज़ हैं
मगर इन अल्फाजों का सिलसिला खत्म नहीं होता...
छुपे होते हैं कई राज़ मगर वो राज़ बयां नहीं होता
हर लफ्ज़ में छुपा है एक ख्वाब
मगर कभी वो ख्वाब मुक़म्मल नहीं होता
कुछ समझे, कुछ न समझे
मगर इन नासमझ की समझ से परे नहीं होता
कोई कहता है ये तो बस अल्फाज़ हैं
मगर इन अल्फाजों का सिलसिला खत्म नहीं होता...
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