...

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अनकही जज़्बात
मैं सोचती रही
बार बार बिखरती रही
बिलापती रही
तड़पती रही
रोती रही
मिन्नते करती रही
मगर मेरी एक भी बात न सुनी गई
मुझे मरने को छोड़ दिया गया
आखिर मेरी गलती क्या थी
मेरी कसूर क्या थी
बस इतना ही ना मैने सब पर भरोसा किया
खुद से भी ज्यादा प्यार किया
परवाह...