...

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यार शहर में था तो बहार थी,,

यार,,..........
शहर में था तो बहार थी,,
उसके जाते ही सब उजड़ गया,,

बस कुछ हज़ार किलोमीटर की हैं दूरियाँ,,
ऐसा लगता है जैसे बिछड़ गया,,

है किस वो हाल में कोई ख़बर नहीं मिली,,
इस रेत के समंदर जो कोई अब्र नहीं मिली,,

क्या सोच रहे हो,,..........

मशरूफ़ थे तुम तो तुम्हें ख़बर मिले क्यों,,
नज़र अंदाज़ करते हो तो फिर तुमको इतने गिले क्यों,,

माना तुम अपनी ज़िम्मेदारी बड़े अच्छे से निभाते हो,,
तो फिर हामी जो तुम्हारे अपने हैं उनको क्यों भूल जाते हो,,

मैं तो तुमको ही दूरियाँ बनाने का मुजरिम ठहराता हुँ,,
रिश्ते कैसे निभाते हैं चलो आज मैं तुमको बताता हुँ,,

देखो,
दुनियाँ दारी या कोई ज़िम्मेदारी रिश्तों से आगे कोई नहीं,,
जिन्होंने वक़्त नहीं दिया अपनों को आज उनका कोई नहीं,,

तुम मेरी बात को हमेशा याद रखना,,
अपनों को हमेशा दिल के पास रखना,,

इतनी नसीहत काफ़ी है शायद तुमको समझाने के लिए,,
हामी आप हया के हो हया आपकी है कोई नहीं आएगा हर बार बताने के लिए!!🙏
Written by Bestie AJ

© Les Alphas de Haya
kash! Waqt rahte kdr kr li hoti Bestie ki
😑😑🙃
Anyways jald hi aaungi
Tumko dher sara staungi😍😊