...

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कभी आंखो मे तो देखो
कभी आंखो मे झाक कर के तो देखो शायद खुशियां दिख जाए
कभी उस मुस्कान को पहचान कर के तो देखो शायद वह दुख दिख जाए
अक्सर ये जरूरी नहीं की आसू दुख के हो
और मुस्कान खुसी की
आसू खूसी में भी आते है
और मुस्कान लोग अपना दिखा छुपाने के लिए लाते है

दुख के आसू से दर्द नाक दुख की मुस्कुराहट होती है जिसमे इंसान अंदर से तो बिखरा होता है पर बाहर से अच्छा दिखाता है

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