काश!
काश! हद-ए-उल्फत से इस क़दर कभी गुज़रती वो,
चिलमन-ए-निग़ाह में लिए ख्वाब, मेरे लिए संवरती वो।
हर इक अदा पर उसकी,...
चिलमन-ए-निग़ाह में लिए ख्वाब, मेरे लिए संवरती वो।
हर इक अदा पर उसकी,...