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औरत की कहानी
टूटे हुए सपनों की कीमत क्या लगाऊँ मैं
अब क्या चीर कर दिल अपना दिखाऊँ मैं
मेरे हालात तुम्हें कभी समझ ना आए है
अब क्या चीख - चिल्ला कर बताऊँ मैं
ताउम्र करती रही तुम और परिवार की
सेवा तवे की रोटी तरह सिकती आ रही हूँ मैं
सुबह उठते ही झाड़ू - पोछा बर्तन और
हर घरों में बर्तनों की तरह बजती आ रही हूँ मैं
इन सब के बदले में मांगा ही क्या"सम्मान"
इसी सम्मान के लिए ठुकराई जा रही हूँ मैं
अपना कर्म समझ सदियों से करती आई
घरेलू महिला इसी नाम से जानी जा रही हूँ मैं ।।
Queen ✍️
© All Rights Reserved
अब क्या चीर कर दिल अपना दिखाऊँ मैं
मेरे हालात तुम्हें कभी समझ ना आए है
अब क्या चीख - चिल्ला कर बताऊँ मैं
ताउम्र करती रही तुम और परिवार की
सेवा तवे की रोटी तरह सिकती आ रही हूँ मैं
सुबह उठते ही झाड़ू - पोछा बर्तन और
हर घरों में बर्तनों की तरह बजती आ रही हूँ मैं
इन सब के बदले में मांगा ही क्या"सम्मान"
इसी सम्मान के लिए ठुकराई जा रही हूँ मैं
अपना कर्म समझ सदियों से करती आई
घरेलू महिला इसी नाम से जानी जा रही हूँ मैं ।।
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