>आज राम हूं लड़णो पड़सी<
ओ लालच को दड़बो है
क्यां की दुनियादारी है
बा मुर्गी ज्यान बचारी है
जकी टैम पर ब्यारी है
छ्याली खुश है बेटी जण दी
छुरी हूं बच भी ज्यावे
पूत का भाग पेट मं तय हीं
तूं क्याने लाड लडारी है
अब मिनखां पर आ ज्याओ
गंगा जी उलटी जारी है
पूत जायो तो जात जड़ूला
मावां भेळी भैरुं गारी है
छ्याली खूंटे बंधी देख री
बिको पूत बण्यौ तरकारी है
दूजी बार भी छोरी हूगी
घर मं मातम जारी है
जकी खुद भी बेटी हीं
जच्चा हूं बतळारी हीं
जणणौ तो सोरो है पण
चढ़बो कतो भार्यो है
काळी रात मं...