एक औरत बनना नहीं इतना आसान
हर एक पन्नो में मेरी एक अलग कहानी है
एक नया किरदार है,
और हर एक किरदार में
उसकी एक अलग ही पहचान है
कभी बनी मैं बेटी, कभी पत्नी, कभी भाभी तो कभी बनना मुझे माँ है;
एक गृहिणी या एक कामकाजी महिला बनना किसने कहा ये आम है ?
देने पड़ते जाने कितने राते सुबेह शाम कभी सोना भी उसका हराम है;
किसने कहा कि एक औरत बनना कौन सा बड़ा काम है?
एक औरत ही मिलकर चलाती है...
एक नया किरदार है,
और हर एक किरदार में
उसकी एक अलग ही पहचान है
कभी बनी मैं बेटी, कभी पत्नी, कभी भाभी तो कभी बनना मुझे माँ है;
एक गृहिणी या एक कामकाजी महिला बनना किसने कहा ये आम है ?
देने पड़ते जाने कितने राते सुबेह शाम कभी सोना भी उसका हराम है;
किसने कहा कि एक औरत बनना कौन सा बड़ा काम है?
एक औरत ही मिलकर चलाती है...