...

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मधुर चाँदनी में अंगीकार कर लो 🫂
तापमय जीवन का दिन तपता रहा
रात की चाँदनी देह जलाती रही
इस पीर का तुम अहसास कर लो
मधुर चाँदनी में अंगीकार कर लो 🫂

चाँद उकेर रहा उन्मुक्त कलाये शीर्ष गगन में
छायी हुई दुग्ध उज्जवल सितारों की पिछौरी
इस यामिनी में तुम मुझे स्वीकार कर लो
मधुर चाँदनी में अंगीकार कर लो ,🫂

बंधी हुई तुझ से प्रीत मोह के बंधन से
सप्तपदी, अग्नि के फेरों और वचनों से
फिर चंचल घड़ियों की मृदु बरसात कर दो
मधुर चाँदनी में अंगीकार कर लो 🫂
#दुग्ध_उज्जवल
#अंगीकार_कर_लो
#स्वीकार_कर_लो
#सप्तपदी
#अग्नि_के_फेरों
#मृदु_बरसात_कर_दो
© ऋत्विजा