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जिंदगी ...
जिंदगी ...
लेखक - अनुज बेहेरा....ओडिशा,रम्भा
कभी कभी मंजिल पानेका चक्कर मे
बाहत कुछ खोना पडता है
तो कभी
हजारे मुसीबत की साथ
ये जिंदगी भी गुजरना पडता है ।।
ओर कभी
खुशियों का माहोल पे
बाहत सारा मजा लेना पडता है
तो ओर कभी
बेदर्द भरी पलको से
आंसू की गंगा बाहाना पडता है ।।
कभी औकात होकर भी
सिर झुकाना पड़ता है
तो कभी
दिल में दर्द छुपाके
ओठों पे मुस्कराना पड़ता है ।।
यही तो असली जिंदगी है ।।
लेखक - अनुज बेहेरा....ओडिशा,रम्भा
कभी कभी मंजिल पानेका चक्कर मे
बाहत कुछ खोना पडता है
तो कभी
हजारे मुसीबत की साथ
ये जिंदगी भी गुजरना पडता है ।।
ओर कभी
खुशियों का माहोल पे
बाहत सारा मजा लेना पडता है
तो ओर कभी
बेदर्द भरी पलको से
आंसू की गंगा बाहाना पडता है ।।
कभी औकात होकर भी
सिर झुकाना पड़ता है
तो कभी
दिल में दर्द छुपाके
ओठों पे मुस्कराना पड़ता है ।।
यही तो असली जिंदगी है ।।
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