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दिल के दर्द.....
पहले मुस्कुराहट अदा हुआ करती थी कब आदत बन गई पता ही नही लगा। दिल जनता है मुस्कुराने की वजह अब बची नही तो बेवजह मुस्कुराते हैं। मुस्कान के पीछे न जाने कितने राज़-ए -दर्द छुपाए बैठे हैं , दिल और ये खुशियों का दिया तो कब का बुझ चुका है बस जिम्मेदारियों का दामन थाम चेहरे पर मुस्कान की ज्योति जलाए बैठे हैं। जिस भीड़ की कभी आदत थी अब वही भीड़ हमे भाती नहीं अब बस तन्हाइयों से दिल लगाए बैठे हैं ।
© sukriti Singh
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