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कटी पतंग बची डोर

हर तरफ हल्बा है ये ही,
हर तरफ ये ही शोर। तिल के लड्डू खाने में, कटी पतंग बची डोर।।
सकांति त्यौहार हैं मित्रों,
दान धर्म उपकार का रहे ना कोई जन वंचित, खुशियों से इस संसार का।
पर सेवा ही परम धर्म हैं,
शुभ हो जाए हर भोर तिल के लड्डू खाने में, कटी पतंग बची डोर।१।
ओढ़ाने और पहनाने का, ...