...

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डर कैसा?
जबतक हम एक दूसरे को जानते नहीं थे,
हम सोचते थे की वो कौन होगा जिसको हम अपना कहेंगे, और अब जब एकदूसरे से जान पहचान बढ़ गयी तो ये डर कैसा?

कभी किसी पे आंखे मूंद कर भरोसा नहीं किया,
और आज जब वो भरोसेमंद मिल गया तो ये डर कैसा?

कभी सोचा ना था की कोई मुझे इतना टूट कर प्यार करेगा, और जब वो प्यार करने वाला मिल गया तो ये डर कैसा?

चाहती थी की कोई मेरा हाथ पूरी जिंदगी थामे,
और आज जब वो थामने वाला मिल गया तो ये डर कैसा?

चाहा था की किसी की आँखों मैं में डूब जाऊ,
आज जब वो आँखे मिल गयी तो ये डर कैसा?

उनको पाने की इतनी चाहत थी की दुनिया की कोई परवाह नहीं, आज उनको पा लिया फिर ये डर कैसा?

जिनकी एक याद से मेरे दिल की धड़कने बढ़ जाती थी,
आज वो ही दिल की धड़कन बन गए तो ये डर कैसा?
©jankiapatel