guzar hi Jana he kabhi....
गुज़र ही जाना है इस दुनिया से कभी,
क्यूँ गुज़ारे फिर लम्हे हसरतों में यूँही,
उतर ही जाने हैं सारे नशे यहीं,
क्या इश्क़ क्या शराब क्या दिल्लगी,
शिकवे...
क्यूँ गुज़ारे फिर लम्हे हसरतों में यूँही,
उतर ही जाने हैं सारे नशे यहीं,
क्या इश्क़ क्या शराब क्या दिल्लगी,
शिकवे...