...

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दायरा
वाकिफ़ हूं मैं
उन सारी बातों से
जो कैद कर रखी हैं
वक्त ने ख़ुद में यूं ही...
सुना रहा लफ्ज़ दर लफ्ज़
वो कहानियां उन बातों की
कतरा-कतरा ख़र्च कर रहा खुद को
कहानियां खरीदने में...

कहीं किसी कब्र में
इक अरसे से दफ़न हैं
कुछ अधूरी...