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मेरी जहां...
कोई नहीं समझ सकता
मैंने क्या खोया
उसके जाने पर कितना रोया
औरों के लिए बस
वो एक इंसान थी
कुछ के लिए उनकी दोस्त
तो कुछ के लिए उनका सम्मान थी
पर मेरे लिए मेरी खुशियां
मेरी जान थी
मुझे हर पल हंसाने वाली
बिन बात युं ही चिडा़ने वाली
मेरे हर राज छुपाने वाली
मुझे मोटी कह बुलाने वाली
वो मेरी जि़दगी, मेरी जहां थी।
© Sankranti chauhan
मैंने क्या खोया
उसके जाने पर कितना रोया
औरों के लिए बस
वो एक इंसान थी
कुछ के लिए उनकी दोस्त
तो कुछ के लिए उनका सम्मान थी
पर मेरे लिए मेरी खुशियां
मेरी जान थी
मुझे हर पल हंसाने वाली
बिन बात युं ही चिडा़ने वाली
मेरे हर राज छुपाने वाली
मुझे मोटी कह बुलाने वाली
वो मेरी जि़दगी, मेरी जहां थी।
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