...

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अब एक इत्तेफाक जरूरी है
हम दोनों का कुछ कहना सुनना जरूरी है
तुम चुप हो और मैं भी
अब एक इत्तेफाक जरूरी है
ना तुम अपनी जिद छोड़ती हो ना मैं
लेकिन अब बात करना जरुरी है
बस एक इत्तेफाक का होना जरूरी है
तुम सोचती हो कि पहले मैं बोलूं
और
मैं सोचता हूं कि पहले तुम बोलो
तुम भी चाहती हो कि
कोई तीसरा ना आए मेरे तुम्हारे बीच
और
मैं भी सोचता हूं यही
मौहब्बत तुम्हें भी है और मुझे भी
जरूरत तुम्हें भी है मेरी और मुझे भी तुम्हारी
फिर भी
ये जिद छूटती नही तुमसे और मुझसे भी
वक़्त बीत रहा है यूं ही
धीरे धीरे फासले भी बड़ने लगेंगे
अब एक इत्तेफाक जरूरी है
मैं सोचता हूं यही और तुम भी सोच रही होगी शायद यही
#44 1/4/23
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© 𝗩𝗶𝘀𝗵 मेरे एहसास - 𝗩𝗶𝗷𝗮𝘆 𝗦𝗵𝗮𝗿𝗺𝗮