...

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वो हाथ छूट गया
#खोईशहरकीशांति
हर जगह सुंदर थी, हर लम्हा अच्छा था।
बड़े से शहर में घूमने आया छोटा सा बचा था।

यह सुंदर मेले, वह हस्ते चेहरे उसको खूब लुभाते थे।
मानो वह सभ उसको अपने पास बुलाते थे।

उस बचे ने भी लालच मैं छोड़ दिया वो हाथ जो इसको बचाए हुए था,
चल पड़ा लुभावनी चीजों को देखने बेखबर की अब वो अकेला था।

कुछ दूर जाकर उसने जब पीछे देखा , चारो और सन्नाटा छा गया।
अब खो जाने का डर इसके मोम से दिल को पिघला गया।

अब जाने वो लुभावनी चीजे भी डरावनी होगयी,
इतनी भीड़ थी वहा पर फिर भी उसके लिए शांति हो गई।

धीरे धीरे उसका डर बढ़ने लगा, जैसे जैसे वो आगे चलने लगा।
ढूंढ रहा था वो ,वो हाथ जो उसको बचाता था।
जो भी वो उसको पकड़ता तो वो सुरक्षित महसूस करपाता था।

धीरे धीरे आंखों से अश्रु बहने लगे, मानो उसके अब सारे चाव मन मैं रहने लगे।
अब उसकी हिम्मत जवाब दे गई, बस वो हाथ फिर से मिल जाए यही ख्वाहिश रह गई।

घूमते घूमते वो आखिर उनसे मिल गया , मुरझाया चेहरा फूल की तरह खिल गया।
© khushpreet kaur