...

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कुछ अनकहे ख्वाब
मुझे बोलना नही आता और न ही कुछ समझा पाता हूँ ,दिल में क्या चल रहा है वो भी बता नही पाता

पर मैं चाहता हूं तुम किसी खामोश सी रात के अंधेरे में आओ और मुझे मेरे ही सोचों में गुम मेरी डायरी के पन्नो पे तुम्हारी तस्वीर को लफ़्ज़ों में उतारता देखो और फिर देखो ये भी कि नाम तुम्हारा ही लिखता हूँ अपने साथ लेकिन फिर काट देता हूँ सिर्फ इस वजह से कि शायद तुम सिर्फ मेरा ख्वाब ही बन के न रह जाओ
खुद को दूसरों पर जताते जताते अब थक सा गया हूँ , बस अब चाहता हैं के मैं जरा सी देर ख़ामोश क्या रहूं कि तुम पूछ बैठो....

" क्या हुआ , परेशान लग रहे हो "

और मैं बस मुस्कुरा के जवाब दे सकू

" नहीं अब ठीक हूं ❣️
:-Sonu@6461