वो सबेरा है, और मुझमें अंधियारा है..
वो सबेरा ढूंढता है, मुझे अंधेरों का सहारा है,
उसे रोशनी पसन्द है, और मुझमें अंधियारा है,
कहाँ से हो मिलन हमारा, दोनों दो जहान है,
एक पहर उसका है, तो एक पहर हमारा है,
दिल्लगी तो है एक दूजे...
उसे रोशनी पसन्द है, और मुझमें अंधियारा है,
कहाँ से हो मिलन हमारा, दोनों दो जहान है,
एक पहर उसका है, तो एक पहर हमारा है,
दिल्लगी तो है एक दूजे...