तर्ज़ ए हयात
न कहीं ज़िक्र है न कोई बात है
कितनी अजीब सी ये रात है
हर दिन गुज़रा तेरी याद में
तू...
कितनी अजीब सी ये रात है
हर दिन गुज़रा तेरी याद में
तू...