...

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तू आकर देख ले
जन्नत का ख़्वाब लिए भटक गया मैं
रंजिश की दुनिया में यूँ लटक गया मैं

मोहब्बत की चाह में बस घूमता रहा मैं
और उस नशा-ए-इश्क़ मे मटक गया मैं

यहाँ दस्तूर और रीवाज में फस गया मैं
और किसी की नज़रों में खटक गया मैं

बस चाहकर भी उसे बदल न सका मैं
नफ़रत की उस आग को गटक गया मैं

तक़दीर को अपने बस कोसता रहा मैं
तू आकर देख ले कहाँ अटक गया मैं
© Raj
#shreerajmenon